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कनाडा या अमेरिका? आखिर किस देश में पढ़ रहे हैं सबसे अधिक भारतीय छात्र, विदेश मंत्रालय ने जारी किया आंकड़ा

भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को विदेशों में पढ़ रहे भारतीय छात्रों का आंकड़ा जारी किया है। इन आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में करीब 13, 35, 878 भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं।
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कनाडा या अमेरिका? आखिर किस देश में पढ़ रहे हैं सबसे अधिक भारतीय छात्र, विदेश मंत्रालय ने जारी किया आंकड़ा
सरकार ने बृहस्पतिवार को संसद को बताया कि 13 लाख से अधिक भारतीय छात्र वर्तमान में विदेश में उच्च अध्ययन कर रहे हैं। विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा में यह जानकारी साझा की। उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार अध्ययन के लिए विदेश जाने वाले प्रवासी छात्रों के आंकड़े रखती है। अपने जवाब में सिंह ने अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस, सिंगापुर, रूस, इजरायल और यूक्रेन सहित 108 देशों में पढ़ रहे भारतीय छात्रों का देशवार विवरण साझा किया। 
कनाडा या अमेरिका? आखिर किस देश में पढ़ रहे हैं सबसे अधिक भारतीय छात्र, विदेश मंत्रालय ने जारी किया आंकड़ा
विदेश में पढ़ाई के लिए जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हाल ही में विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2024 में कुल 13,35,878 भारतीय छात्र विभिन्न देशों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कनाडा भारतीय छात्रों के लिए सबसे लोकप्रिय गंतव्य बन गया है, जबकि अमेरिका दूसरे स्थान पर है।
कहां हैं सबसे ज्यादा भारतीय छात्र?
कनाडा: 4,27,000 छात्र
अमेरिका: 3,37,630 छात्र
चीन: 8,580 छात्र
यूक्रेन: 2,510 छात्र
इज़राइल: 900 छात्र
पाकिस्तान: 14 छात्र
ग्रीस: 8 छात्र
भारतीय छात्रों की विदेश में पढ़ाई के लिए बढ़ती रुचि
विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2019 में 5,86,337 भारतीय छात्र विदेश में पढ़ रहे थे, जो 2023 में बढ़कर 8,92,989 हो गए। यह 52.2% की वृद्धि को दर्शाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, कनाडा की आसान वीज़ा नीतियां, पोस्ट-स्टडी वर्क परमिट और स्थायी निवास (PR) के अवसरों की वजह से भारतीय छात्रों में इसकी लोकप्रियता बढ़ी है। दूसरी ओर, अमेरिका अपनी बेहतरीन विश्वविद्यालय प्रणाली और तकनीकी नौकरियों की उपलब्धता के कारण छात्रों को आकर्षित करता है।
हालांकि, कनाडा और अमेरिका, दोनों देशों में रहने की बढ़ती लागत और वीज़ा नीतियों में बदलाव जैसे मुद्दे भी चर्चा में हैं। इसके बावजूद, भारतीय छात्र उच्च शिक्षा और करियर के बेहतर अवसरों के लिए इन देशों का रुख कर रहे हैं।