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दिल की धड़कनें रुकने के बाद भी चलता रहता है दिमाग़, मौत के वक़्त हमारे मस्तिष्क में क्या हो रहा होता है?

जिन लोगों ने मौत को बेहद करीब से अनुभव किया है, उनका कहना है कि वे अपने पूरी ज़िंदगी को तेजी से अपने सामने दोहराते हुए देख सकते हैं.

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दिल की धड़कनें रुकने के बाद भी चलता रहता है दिमाग़, मौत के वक़्त हमारे मस्तिष्क में क्या हो रहा होता है?
नर्वस सिस्टम का अध्ययन करने वाली वैज्ञानिक जिमो बोरजीगिन को जब इस बात का एहसास हुआ कि मरते वक़्त दिमाग़ में क्या हो रहा होता है तो वे हैरान हो गईं.
मौत जीवन का अंत है इसके बावजूद इस बारे में हमारा ज्ञान बहुत सीमित है. बोरजीगिन को मौत के वक़्त दिमाग की हालत का एहसास लगभग एक दशक पहले पूरी तरह संयोग से हुआ था.
उन्होंने बीबीसी की स्पेनिश भाषा की सेवा को बताया, "हम चूहों पर एक्सपेरिमेंट कर रहे थे और सर्जरी के बाद उनके दिमाग में होने वाले केमिकल बदलावों की जांच कर रहे थे".
लेकिन अचानक, उनमें से दो चूहों की मौत हो गई. इससे उन्हें दिमाग के मरने की प्रक्रिया के दौरान दिमाग में होने वाले बदलावों को जानने का मौका मिला.
मृत्यु के समय हमारे मस्तिष्क में होने वाली गतिविधियाँ वैज्ञानिकों के लिए लंबे समय से जिज्ञासा का विषय रही हैं। हाल के अध्ययनों ने इस रहस्य पर कुछ प्रकाश डाला है।
मस्तिष्क की गतिविधियाँ मृत्यु के समय:
2025 में, वैज्ञानिकों ने एक 87 वर्षीय मिर्गी रोगी के मस्तिष्क की 900 सेकंड (15 मिनट) की गतिविधि को रिकॉर्ड किया, जिसमें हृदय की धड़कन बंद होने से पहले और बाद के 30 सेकंड शामिल थे। उन्होंने पाया कि मृत्यु के समय मस्तिष्क में वही तरंगें सक्रिय होती हैं, जो सपने देखने, ध्यान लगाने और यादें संजोने के दौरान होती हैं। इससे संकेत मिलता है कि मरते समय व्यक्ति अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को पुनः अनुभव कर सकता है। 
दिल की धड़कन बंद होने के बाद मस्तिष्क की सक्रियता:
दिल की धड़कन बंद होने के बाद भी मस्तिष्क कुछ समय तक सक्रिय रहता है। इस अवधि में मस्तिष्क की तरंगों में विशेष परिवर्तन देखे गए हैं, जो संकेत देते हैं कि व्यक्ति अपनी जीवन की यादों को पुनः जी सकता है। 
मृत्यु के बाद शरीर में अन्य परिवर्तन:
मृत्यु के 2 से 6 घंटे बाद शरीर में रासायनिक बदलाव होने लगते हैं, जिससे रिगर मॉर्टिस की प्रक्रिया शुरू होती है, जिसमें मांसपेशियाँ अकड़ने लगती हैं। यह प्रक्रिया सबसे पहले छोटी मांसपेशियों, जैसे पलकों और जबड़े की मांसपेशियों पर प्रभाव डालती है। 
इन अध्ययनों से पता चलता है कि मृत्यु के समय मस्तिष्क में जटिल और महत्वपूर्ण गतिविधियाँ होती हैं, जो हमें जीवन के अंतिम क्षणों में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को समझने में मदद करती हैं।